Sunday, July 1, 2012

जिन्दगी

ये   स्वर्ग   के   किवाड़   जैसी   है   !
खाट  को  तानती  निवाड़  जैसी  है !!
समझे इसको तो समझो सुकूं पाया !
वर्ना जिन्दगी एक चिंघाड़ जैसी है  !!

Wednesday, June 27, 2012

जिंदगी

जिंदगी समझो कैसा फंडा है  !
फूटना जिसका तय वो अंडा है !!
छोटा सा उदाहरण इसका इतना बस 
शरीर गुल्ली आत्मा डंडा है  !!

Friday, June 22, 2012

बिटिया

मेरी बिटिया ही मुझको तो मेरा घर बार लगती है 
वो इतनी प्यारी गुडिया है के वो संसार लगती है 
मैं उसको भूल सा जाऊ नहीं है मेरे वश में ये 
वो देवी वैष्णो माँ का मुझे दरबार लगती है 

Saturday, June 16, 2012

माँ मुझे याद आती है



मेरे दिल की सभी परतों से 
ये आवाज़ आती है 
मेरे है गाँव की सीमा सी 
माँ मुझे याद आती है 
है उसकी बात हर न्यारी 
तुम्हे कैसे बताऊं मैं 
वो पतझड़ में भी आती है तो 
सावन सी ही आती है

लेखक- भुवनेश सिंघल